रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
वही मुझसे पाओगे। रिश्ते में मुझको प्यार वक्त दोस्ती
मांगता ना पूछता उसके लिए।
जहा ये करना पड़ रहा हो,उन रिश्तों में डिस्टेंस maintain कर लेता हु,क्योंकि कैजुअल और फॉर्मेलिटी वाले रिश्ते रखना पसंद नही है। बनाओ तो निभाओ वक्त से व्यवहार से प्रेम से दोस्ती से वरना एहसान वाला भाव रिक्त कर देता है।
रिश्ते कोई भी हो वक्त और संवाद से पनपते है
और वक्त और संवाद ना होने से पहले कैजुअल हो जायेंगे
धीरे धीरे रिक्तता आ जायेगी।फिर एक वक्त बाद उस रिश्ते या इंसान के होने , ना होने वाले भाव शून्य हो जायेंगे।