रिश्ता
रिश्ता
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रिश्ता जैसे पानी और प्यास का।
रिश्ता जैसे जीवन और सांस का।
कुछ रिश्ते अनमोल है इस जगत में।
रिश्ता जैसे भक्त और भगवान का।
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ऐ खुदा एक नजर अबतो देखो मुझे,
मेरी गलती है क्या वो बतादो मुझे।
एक रिश्ता है मुझसे तुझे है खबर,
माफ कर दो गले से लगालो मुझे।।
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रिश्ता नया था तो गले से लगा लिया,
कुछ दिन ही बीते खुद से जुदा किया।
जैसे ही रिश्तों मे आया पुरानापन,
खुद से तो क्या शहर से भगा दिया।
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.संजीव शुक्ल “सचिन”
शुभ प्रभात