रिश्ते भी तो बजारू हो गए
की आजकल रिश्ते भी तो बज़ारू हो गए.
जिधर पूँजी दिखी लोग उधर ही रिश्ता बनाए रहते.
अक्सर देखा है हक़ीकत में की
ग़रीबी आ जाए फिर कौन भला? रिश्ते बनाए रखते?
शायर©किशन कारीगर.
की आजकल रिश्ते भी तो बज़ारू हो गए.
जिधर पूँजी दिखी लोग उधर ही रिश्ता बनाए रहते.
अक्सर देखा है हक़ीकत में की
ग़रीबी आ जाए फिर कौन भला? रिश्ते बनाए रखते?
शायर©किशन कारीगर.