रिश्ता जन्म से जन्मांतर का
एक बार मेरे ओपीडी में एक अधेड़ जाट दंपत्ति परामर्श हेतु पधारे । पूछने पर उनकी पत्नी तमाम गैर मामूली तकलीफें बताते हुए विलाप करने लगी। मैंने उनका परीक्षण करने के उपरांत पाया कि वह शारीरिक रूप से एक स्वस्थ एवं हष्ट पुष्ट , चिकनी चुपड़ी 95 किलो वजन और 5 फिट 11 इंच लंबी कद काठी से सुशोभित महिला थीं । मैंने उनके कष्टों का कारण किसी प्रकार का सदमा या तनाव होना बताया । मेरी यह बात सुनकर वह और ज़ोर ज़ोर से बिलख , अपने पति की ओर देखते हुए रोने लगी । उसका पति अपराधी भाव से सिर झुकाए मौन धारण किए खड़ा था । मैंने उन्हें शांत करते हुए उनके पति से पूछा कि इन्हें किस बात का गम है । इस पर वह जाट महोदय जो उन्हीं की टककर के स्वास्थ के धनी थे बोले
‘ डॉक्टर साहब मेरे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है मेरे पास इतनी जमीनें हैं, ट्रैक्टर हैं , गायें और भैसें हैं , इतना बड़ा घर आंगन है और घर बाहर का सब काम करने के लिए नौकर चाकर हैं , मैं कोई शराब , सिगरेट , तंबाकू , गुटखा , हुक्का बीड़ी या किसी प्रकार का नशा इत्यादि भी नहीं करता हूं । इनके जिम्मे कहीं कोई काम नहीं है , फिर भी यह पता नहीं क्यों ये परेशान रहतीं हैं । ‘
उनकी पत्नी का रोना थम नहीं रहा था । मैंने उन्हें सांत्वना देते हुए पूछा की जब आपके घर में इतनी सब सुविधाएं और आराम के साधन हैं तो आप इन सब का आनंद लीजिए , नौकरों पर हुकुम जमाइये और आराम से घर में बैठकर टीवी देखिए । यह सुनकर वह महिला और ज़ोर ज़ोर से फफक फफक कर रोने लगी, फिर अपने पति की ओर इशारा करते हुए बोली पूछ लो इनसे कि मैं घर में टीवी नहीं देख सकती , घर की छत पर नहीं जा सकती और अपनी मर्जी से कहीं घूम फिर नहीं सकती । इनकी वजह से मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई , मैं अपने मायके में ऐसे नहीं रहती थी । इन्हीं सब बातों के कारण मेरा मन करता है कि मैं इनका घर छोड़कर अपने भाई के घर चली जाऊं ।
अब मैंने फिर वही प्रश्न उसके अपराधी भाव से मौन खड़े उसके पति से पूंछा
‘ यह ऐसा क्यों कह रही है ?’
मेरी बात सुनकर उसके पति ने कहा डॉक्टर साहब इनकी बीमारी बाहर बैठी मेरी मां हैं वह भी बीमार रहती हैं और जिन्हें दिखाने के लिए मैं उन्हें साथ लाया हूं , वो कमजोरी की वज़ह से चलने फिरने में असमर्थ हैं और वृद्ध है इसलिए आप कृपया उनको बाहर चल कर ही देख लीजिए । मैं उत्सुकता वश उनकी पत्नी को इलाज का पर्चा लिखना रोक कर पहले बाहर जाकर उनकी लाचार मां के दर्शन करने के लिए आला लेकर बाहर आ गया , वहां बेंच पर बैठी उनकी 85 वर्षीय करीब 32 किलो वजन की एक गठरी बनी सिकुड़ी सिमटी मुद्रा में बैठी वृद्धा से उन्होंने मुझे मिलवाया कि ये मेरी मां है और इन्हीं के खौफ से मेरी पत्नी ग़मज़दा रहती हैं । कृपया इन्हें देख कर कुछ अच्छी दवाइयां लिख दीजिए । अब इस उम्र में मैं इन्हें अपने घर से अलग करके कहां फेंक आऊं , जिंदगी भर से इनका स्वभाव एक तानाशाह की तरह ही रहा है और उन्होंने हमारे पिताजी के साथ मिलकर अपने 8 बच्चों का लालन पोषण इसी तरह किया है और हमारे परिवार को समृद्धि दिला इस लायक बनाया है कि हम अब गर्व से आपके सामने खड़े हैं । मैं अब इनकी इस उम्र में इनके उन सिद्धांतों और विश्वासों को बदल नहीं सकता जिन पर चल कर इन्होंने अब तक की जिंदगी गुजारी है और ना ही अब ये अपने उन सिद्धांतों को बदलना चाहती हैं ।
मुझे लगा कि यह अटूट दांपत्य बंधन में बंधी मेरे कक्ष के अंदर विलाप करती हुई महिला के प्रेम की तुलना में उसकी सास एवं पति अर्थात उन मां बेटे के बीच का प्रेम बंधन जो सिर्फ एक जन्म का रिश्ता है , ज़्यादा भारी है । मैं एक जन्म के संबंध को सात जन्मों तक साथ रहने वाले प्रेम बन्धन पर पर भारी पड़ता देख रहा था ।
मुझे विश्वास था की इस जाटनी को अगर कहीं से यह पता चल जाए कि अगले जन्म में भी उसे यही सास मिलेगी तो शायद वह इसी जन्म से ही अपने करवाचौथ के व्रत रखना बंद कर देगी।