रिश्ता कागज का
रिश्ता कागज से मेरा (कलम)सदियो पुराना है
उसने हर खुशी गम में मुझे(कलम) गले से लगाया है।
जब कोई नहीं सुन रहा था बात मेरी
तब कागज ने ही सच्चा रिश्ता निभाया है।
कह कर अपनी दिल की बात हमने इससे
कई बार अपने आंसुओ से इसको भिगाया है ।
जब भी कहती हूँ इससे मैं दर्द अपनी
इसको भी अपने संग मैंने रोता पाया है।
कैसे तोड़ दूँ कागज से रिश्ता मैं अपना
इसने तो हर वक्त मेरे माथे को चुमकर
मुझे अपने सीने से लगाया है।
बहुत ही नाज है मुझे अपने इस रिश्ते पर
जिसने हर हाल में मेरा साथ निभाया है।
भावना कुमारी