रिशतों का उचित मुल्य 🌹🌹❤️🙏❤️
रिश्तों की याद सताती जब
मां पिता नहीं होते जग में
बनाए गए इनके रिश्तेदार
धीरे- धीरे घट कम हो जाते
जब उन्हें हम याद नहीं करते
जग में रिश्ता अनमोल धन
मां पिता से बनाए बनते
भावों से भरा यह रिश्ता
नाजुक पल्लव डाली सी
प्रेम प्यार बनते बिगड़ते
हाल समाचार संवादों से
ये रिश्ते मजबूत होते जाते
मां पिता के चले जाने पर
भाई बहन का नाता सबसे
एक करीबी रिश्ता जगत में
दोस्त दूर हो जाते छोड़ हमें
बच्चे बड़े हो दूर चले जाते
केवल भाई- बहन रह जाते
बुढ़े जब हम दोनों मिलते
अतीत भूल गर्म जोशी से
गले लगा बचपन की याद
फूट- फूट खुशी से रोते
जीवन लंबी राहों पर
दोनों चलते अलग-थलग
चौक चौराहे पर मिलकर
हम दोनों एक हो जाते
अगाध प्रेम प्यार को पा
क्षण स्वर्ग सुख अनुभव करते
चौथे पन की पड़ाव में भाव
दया करुणा ममता सहयोग
भाई- बहन का सहारा जो
जीने की आस बढ़ाता जो
रिश्ते नाते उम्र नहीं देखते
रिश्ता गहरा होता जाता
अप्रिय अतीत भूल क्षमा कर
बहन भाई बीच ऐसी कोई
गांठ नहीं जो खुल न सके
ऐसा कोई ढाल नहीं जो
हटाने पर हट ना सके
बहन भाई के हिसाब किताब
पन्ने नहीं पलटने है नहीं चाहिए
गिलवे शिकवे छोड़ आपसी
निर्भरता दुलार प्यार बेहतर से
बेहतर रिश्ते बना रखना
रिश्ते नाते का उचित मूल्य यही ॥
उचित एक मूल्य यही मूल्य🌷🌹❤️
तारकेश्कर प्रसाद तरूण
पुस्तकालयाध्यक्ष