रिवायत दिल की
बहुत टोका बहुत रोका मगर ये दिल नहीं माना।
हाँ सब कुछ जान कर भी ये रहा चाहत में अंजाना।।
नहीं परवाह इसने की कभी भी दुनियादारी की,
हुआ बदनाम बना मजनू कभी फरहाद दीवाना।।
बहुत रोका बहुत टोका मगर नहीं दिल रहा बस में।
तोड़कर चाँद तारे आसमां से निभाई इश्क में रस्में।
मगर अंजाम टूटा दिल बेवफा जान वो निकला
रिवायत तोड़ कर सारी थी खाई जिसके संग कसमें।
नीलम शर्मा ✍️