रिवाजो की प्रथा…
इतिहास के पन्नो पे लिखी हैं गाथा,
समाज के रीती रीवाज को नेस्तनाबूद करने की नीति,
फिर भी यहाँ रोज होता हैं हनन रिवाजो का..!..!
कई मासूम लोग बनजाते हैं शिकार रिवाजो के..!..!
हैसियत न होने पर भी रिवाजो की इमारतको
मजबूती देनी ही पड़ती हैं यहां…
दबे पाँव जैसे दर्द आता हैं और पीड़ा देता हैं
वैसे ही रिवाजो का बोज देता हैं कष्ट काफ़ी
समाज में रिवाजो का दूषण…
पर्यावरण के दूषण की भांति
फैल गया हैं हर समाज में
वो दीमक की तरह…
धीरे-धीरे खाता हैं इंसान की जड़ को
हिलाता हैं गरिमा को…
तोड़ो उसे… छोडो उसे..
ऐसा नियम बनावो..
जो सब के लिए आसान हो….