रियायत
अबोले दिनों ने उसकी परीक्षा ली
उसने बड़े गैरज़िम्मेदाराना तरीके से,
परचे दिये
और फेल हो गया
और इस फेल होने का कोई
रंज भी उसे न हुआ।
फिर,
एक दिन ‘अबोला’ख़त्म हुआ
और संवाद प्रारम्भ हुआ…
उसे लगा कि,
वह पास हो गया था
उसने समझा
यह प्रोन्नति
उसकी अपनी उपलब्धि है।
उसे कभी भी अहसास नहीं हुआ कि,
वह रियायती अंकों पर पास किया गया
अक्षम बालक है।