रिमझिम सावन में
रिमझिम सावन में, ये कैसी लगी अगन?
सुलगे ,सुलगे हैं …अब तो मेरे तन मन …..
बूंदों की झनकार…. जैसे पायल की छमछम।
चेहरे में गिरते ही….आंखें कर जाती है नम।
फिर तेरी यादें, बांह पसारे , बुलाये मुझे सजन।
रिमझिम सावन में…..
बरखा की श्रृंगार….बसी है तुझमें चरम।
उस पर भोली अदा ….और ये हया शरम।
पलकें मूंदे, देखे सपने प्यारे, तेरे मेरे नयन।
रिमझिम सावन में…..