रिमझिम -रिमझिम
अंबर ने अमृत घट से यह प्रेम का रस छलकाया है,
रिमझिम-रिमझिम बूँदें लेकर देखो सावन आया है,
खिली खिली है हरित वसन को, पहनी है धरती सारी,
धुली – धुली लगती है देखो तरु की छवि सुंदर प्यारी,
कोयल छेड़े राग पंचमी, मन भौरा भरमाया है
रिमझिम रिमझिम बूँदें लेकर देखो सावन आया है
फूलों से ले गंध प्रीत की, बहती मद्धम पुरवाई,
मन में मेरे बजती है, मधुर मिलन की शहनाई
अलसाये नयनों में तेरे, सपनोँ ने घर पाया है
रिमझिम रिमझिम बूँदें लेकर देखो सावन आया है
हरे हो रहे बाग़ लता वन, नदी बनी है नखरीली
मोर, पपीहा, कोयल मिलकर छेड़े तान सुरीली,
हर्ष प्रीत का मधुमयी आँचल, धरती पर लहराया है
रिमझिम -रिमझिम बूँदें लेकर देखो सावन आया है…