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11 Sep 2017 · 1 min read

रिमझिम बारिश….

दुनिया के पहरे से डरती रहती है…
दिल आँगन में सबसे छिप के मिलती है….

दिल में तेरे जो है वो बतला दे ना….
शाम सवेरे यूं ही रूठी रहती है….

मिलने को तो दिल दोनों के मिलते हैं
फिर भी किस्मत अपनी ही न मिलती है…

सपने तेरे मेरे थे, सो टूट गए….
ग़ुरबत में उल्फत कब किस को मिलती है…

रिमझिम बारिश निकली मेरी आखों से…
आँख ‘चँदर’ क्यूँ तेरी सूजी लगती है….

\
/सी.एम्. शर्मा

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