*रिपोर्ताज*
#कार्यशाला-
■ सुपरिचित अंदाज़ में नज़र आए आईएएस एसएन रूपला
● सहज-सरल-सादगी के साथ हुए अफसरों से मुख़ातिब
● “गुड गवर्नेंस” विषय पर दिया प्रभावशाली व्याख्यान
● कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में साझा किए अनुभव
[प्रणय प्रभात/श्योपुर]
वाणी में उत्साह, हाव-भाव में ऊर्जा और शब्द-शब्द में छुपा विशद अनुभव। स्वाभाविक सौम्यता व संवाद सम्बोधन का वही जाना-पहचाना सा अंदाज़। जी हां, चर्चा के केंद्र में हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी शिवनारायण रूपला। जो आज अपनी पुरानी कर्मस्थली रहे श्योपुर ज़िले के प्रवास पर थे। वे सुशासन-सप्ताह के अंतर्गत कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करने ज़िला मुख्यालय पहुंचे थे। “गुड गवर्नेंस” विषय पर ज़िले भर के अधिकारियों व अधीनस्थों के लिए कार्यशाला का आयोजन ज़िला पंचायत के निषादराज भवन सभागार में सम्पन्न हुआ। जिसमें ज़िलाधीश किशोर कुमार कन्याल, पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन व मुख्य कार्यपालन अधिकारी अतेंद्र सिंह गुर्जर सहित तमाम विभाग प्रमुख उपस्थित रहे।
ज़िले के सर्वाधिक लोकप्रिय कलेक्टर से ले कर ग्वालियर व रीवा के जनप्रिय कमिश्नर रहे सेवानिवृत्त आईएएस श्री रूपला ने रोचक व सारगर्भित व्याख्यान का आधार अपने सुदीर्घ प्रशासनिक अनुभव को बनाया। अपनी प्रशासनिक दक्षता के बूते सेवानिवृत्ति के उपरांत सीएम के ओएसडी तक रहे श्री रूपला ने “सुशासन” को सटीक तथ्यों के साथ परिभाषित व रेखांकित करते हुए इसकी आवश्यकता व अनिवार्यता को भी प्रतिपादित किया। उन्होंने सुशासन की मूल भावना व अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए पूर्व प्रधानमंत्री भारत-रत्न स्व. श्री अटल बिहारी बाजपेयी की उदात्त सोच व प्रेरक भूमिका का भी स्मरण किया। कार्यशाला का शुभारंभ परम्परागत औपचारिक प्रक्रियाओं के साथ हुआ। उल्लेखनीय है कि स्व. श्री अटल जी का जन्मदिन 25 दिसम्बर को “सुशासन-दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
जनभागीदारी से सामुदायिक व सार्वजनिक सार्थक अभियानों की कुशल अगुवाई कर अनूठी पहचान बनाने वाले श्री रूपला ने प्रेरक उद्बोधन के दौरान कुछ सटीक उदाहरण भी दिए। नवाचार के तौर पर तमाम परिणाममूलक कार्यों की कीर्ति-पताका प्रदेश भर में फहराने वाले श्री रूपला ने सुशासन की सोच को साकार करने में प्रशासन की भूमिका के साथ-साथ, जनप्रतिनिधियों, जागरूक नागरिकों व मीडिया के योगदान पर भी प्रेरक विचार रखे। उन्होंने सुशासन की परिकल्पना व अवधारणा को सतत सफल रखने के लिए सभी का आह्वान भी किया।
ज्ञातव्य है कि आईएएस अफ़सर होने के बावजूद श्री रूपला की छवि सबको साथ लेकर चलने वाले मार्गदर्शी प्रशासक के रूप में रही। धरातल पर जनहितैषी कार्यों में भाग लेने वाले एक-एक व्यक्ति को नाम से जानने वाले श्री रूपला की भूमिका कार्यकाल के दौरान एक प्रेरक व उत्प्रेरक मुखिया की रही। आयुक्त के पद पर पदोन्नति के बाद ज़िले से विदा हुए श्री रूपला के सम्मान में आयोजित विदाई समारोहों का एक कीर्तिमान रहा। जो आज तक अखंड बना हुआ है। एक नाले में बदलने की कगार तक पहुंच चुकी नगर की जीवन-धारा सीप नदी को जनभागीदारी से नवजीवन देने वाले श्री रूपला की लोकप्रियता के मूल में रही उनकी सरलता, विनम्रता, मृदुभाषिता, मिलनसारिता व आत्मीयता। जो आज भी उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को अनुकरणीय बनाए हुए है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज एक बार फिर से मिला। जिससे सभी अफसर व मातहत प्रभावित व प्रेरित दिखाई दिए।
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श्योपुर (मप्र)