” रिटायर नहीं मध्यांतर कहो “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कुछ सीमित अवधिओं
के बाद ही
हमको रिटायरमेंट की
सूचना मिल जाया करती है !
हम चाह करके भी
अपनी प्रतिभाओं की वलि
हमको सबके सामने
चढ़ानी पड़ती है !!
हमें एहसास होने
लगता है
अच्छे थे यहाँ पर
परन्तु और भी सक्षम
कुशल की है कतारें !
उनकी कुशलता
कार्य को
फिर कौन देखे
वे भी तो हैं
इस नक्षत्र के
चमकते सितारे !!
पद ,नाम ,सम्मान
ही तो रहते
क्षणिक भर
एक जैसा सबका
समय फिर रहता कहाँ ?
छुट जायेंगे
सभी का साथ
माहोल एक दिन
हमको जो भी
ऐश था
वो कहो मिलता कहाँ ??
रिटायर का अर्थ के
अंदाज़ से भ्रमित हैं
आराम से थमती
जिन्दगी की रफ़्तार है !
इसे हम तो मध्यांतर
जीवन का समझ लें
अभी तो युध्य बांकी है
द्वन्द भी स्वीकार है !!
अधूरे कार्य को अंजाम
तक हम लाके रहेंगे
मध्यांतर केबाद
क्लाइमेक्स कुछऔर होगा !
अभी भी तो है रगों में
खून की धारा प्रवाहित
पिक्चर तो देखो अभी
आगे कुछ और होगा !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत