रिआया
यहाँ अपने छालों से ही, केवल जिसका रिश्ता है,
रिआया ही तो है वो और, गम भी उसका सस्ता है।
बेकार होती कोशिशें, खरोंचें छिपाने की उसकी,
दिल खुला रखता है पर, हाल उसका खस्ता है।
समझ नहीं पाया अबतलक, वो सियासत की चालें,
हाकिम खुद को यहाँ बताता, क्यों उसका फरिश्ता है।
खुशियों की पढ़ाई कठिन है, ज़िंदगी के स्कूल में,
यहाँ ना मास्टर ना किताबें, ना ही उसका बस्ता है।
बयां वो कहाँ और कैसे करे, अपना दर्द ‘अनिल’
तंगदिली दुनिया में हरकदम, फंदा उसका कसता है।
रिआया = अवाम, जनता, प्रजा
हाकिम = बड़ा अथवा प्रधान अधिकारी, हुकूमत करने वाला, राजा, शासक, हुक्म करने वाला
©✍?26/02/2022
अनिल कुमार ‘अनिल’
anilk1604@gmail.com