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16 Feb 2024 · 1 min read

राह पर चलना पथिक अविराम।

राह पर चलना पथिक अविराम।

हो छुपा सूरज क्षितिज पर
बिछ चुका पथ पर अँधेरा,
देख गहरी, रात काली
दूर लगता हो सवेरा।

पर न शाश्वत तिमिर का आयाम
राह पर चलना पथिक अविराम।

विघ्न अगणित साथ मिल
फैलाएँ जो अपनी भुजाएँ,
रोकने को राह प्रतिपल
व्यग्र हों चारों दिशाएँ।

जिन्दगी तो है इसी का नाम
राह पर चलना पथिक अविराम।

हो नहीं विचलित अगर जो
हर लहर तूफान लाए,
देख सूनी राह पर
तलवार दुश्मन तान आए।

है बढा जो जीतता संग्राम
राह पर चलना पथिक अविराम।

कौन जाने बीच पथ पर
साथ कोई छोड़ देगा,
प्रेम का बंधन अनूठा
बेवजह ही तोड़ देगा।

हौसले का हाथ लेना थाम
राह पर चलना पथिक अविराम।

अनिल मिश्र प्रहरी।

Language: Hindi
1 Like · 156 Views
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