राह दिखा दो मेरे भगवन
राह दिखा दो मेरे भगवन,
अंधकार के जग में,
सत्य असत्य को मै भी जानु ,
खोज कर दूँ उस राह की,
सत्य की हो वह खोज,
बन जाऊँ मार्गदाता,
उस राह का विधाता ,
जन्मा हूँ भव सागर संसार में।
राह दिखा दो मेरे भगवन,
कर सकूँ कल्याण सदैव,
पथिक भटका हुआ यदि जग में,
मुक्ति पायेगा कैसे ?
संसार है ये,
सत्य की मानव करेगा खोज,
हृदय के अंदर विद्यमान है जो,
नयन चछु खुल जाये मेरे,
धन्य हो जाऊँ आज मैं।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।