राह तभी, जब रूप धरोगे श्रीराम का
करबद्ध हो समुंद्र से उसने मांगी जाने की राह।
समुंद्र बोला- यूं सहज नहीं मुझसे पार हो जाना।
हो अद्यत, धर ऋत। जयघोष महादेव का।
राह तभी, जब रूप धरोगे श्रीराम का।
– सुशील कुमार ‘नवीन’
करबद्ध हो समुंद्र से उसने मांगी जाने की राह।
समुंद्र बोला- यूं सहज नहीं मुझसे पार हो जाना।
हो अद्यत, धर ऋत। जयघोष महादेव का।
राह तभी, जब रूप धरोगे श्रीराम का।
– सुशील कुमार ‘नवीन’