राहें
है जीवन
चलते रहने
का नाम
अनजान राहें
अनजानी चाहें
अनजान चालें
अनजान यादें
समेटे इन्हें
मानस पटल
धुंधले चेहरे
धुंधले चित्र
धुंधले पत्र
कांपते हाथ
कांपते साथ
अंधेरी रातें
अंधेरी यादें
गुमसुम सी बातें
गुमनाम सायें
भटकता जीवन
बरसता सावन
बौछार की छुअन
मीत से मिलन
जीवनसाथी का मिलान
है ये सब दुर्लभ
है नहीं कुछ दुर्गम
हैं मजबूत कदम
है मजबूत कलम
लिखती जायेंगी
नई राह
नई रोशनी
होंगी राहें रोशन
जिन्दगी की राह में
भरेगा उत्साह
देंगी दिखाई
नई राहें
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल