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30 Sep 2017 · 1 min read

# राहें #

राहों से सीखा मैंने
अकेले ही आगे बढ़ना।
मंजिल पर पहुंच
कर ही रुकना ठहरना।
बीच में कहीं
न रुकना न बहकना।
रास्ते में खुश
रहना चहकना।
पूरे सफर भर में ऐ दोस्त
फूलों की तरह महकना।
राहों से सीखा मैंने
अपनी मंजिल पाकर ही थमना।

—रंजना माथुर दिनांक 30/09/2017
मेरी स्व रचित वह मौलिक रचना
©

Language: Hindi
384 Views
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