राही आंगे बढ़ते जाना
सुख दुःख की परवाह न करना
राही आंगे बढ़ते जाना
मीत मिलेंगे, गीत मिलेंगे
उपवन में सुन्दर पुष्प खिलेंगे
पर तुम मत ललचाना
राही आंगे बढ़ते जाना
लाभ हानि की चिंता छोड़ो
गीता से निज नाता जोड़ो
कर्म भूमि में कर्म करो पर
फल से मत घबराना
राही आंगे बढ़ते जाना
नाते रिश्ते बहुत बनेंगे
कुछ भूलेंगे कुछ सुध लेंगे
अपना तुम फर्ज निभाना
राही आंगे बढ़ते जाना
यह जग नश्वर सबने माना
पर पद चिन्ह छोड़ है जाना
है कुछ दिन का जगत ठिकाना
राही आंगे बढ़ते जाना
नेक कर्म से पुन्य कमाओ
क्षुधा नींद मत दिवस गंवाओ
सबका तुमको कर्ज चुकाना
राही आंगे बढ़ते जाना