राहत
खूंटा ठोक कर इस दहर में रहने भला कौन आया है
सभी ने कभी न कभी चमड़े के जुबां से गंध फैलाया है
तारीखों के सफ़हा पे सब के सब ताडे जाएंगे
चलिए छोड़िए भी सब कहन वाले राहत कहां हो पाया है
… ???
~ सिद्धार्थ
खूंटा ठोक कर इस दहर में रहने भला कौन आया है
सभी ने कभी न कभी चमड़े के जुबां से गंध फैलाया है
तारीखों के सफ़हा पे सब के सब ताडे जाएंगे
चलिए छोड़िए भी सब कहन वाले राहत कहां हो पाया है
… ???
~ सिद्धार्थ