राष्ट्र
वतन
बलिदान त्याग ग़र शहीद न करते, तो हम होतेआज़ाद नहीं।
सतत प्रयास अब तक आज़ादी, सुन सच में हम आज़ाद नहीं।
जटिल पुरातन या हो नूतन,तजना कुरीति कोई पाप नहीं।
उठो युवा तुम बदलो सितारे,किस्मत बदलती आप नहीं।
तकनीकी की इस नव पीढ़ी में, करुणा हमें जगानी होगी
मलिन सरिता को पावन करके, गंगा नयी बहानी होगी।
उठो,बनों स्वयं शिव शंकर हलाहल विष पान करना होगा
सागर का नव मंथन कर, बन अमृत जल बरसना होगा।
अग्निपथ पर बढ़ो निरंतर राष्ट्र भाल चमकाने को।
परतंत्रता के झंझावात में,नव परिवर्तन लाने को।
भ्रष्टाचार रूपी दानव को भस्म हमें अब करना होगा,
स्वदेश दासत्व मिटाकर,समता का सागर भरना होगा
बलिदान त्याग ग़र शहीद न करते, तो होते हम आज़ाद नहीं।
सतत प्रयास अब तक आज़ादी, सुन सच में हम आज़ाद नहीं।
जटिल पुरातन या हो नूतन,तजना कुरीति कोई पाप नहीं।
उठो युवा तुम बदलो सितारे,किस्मत बदलती आप नहीं।
नीलम शर्मा ✍️