राष्ट्र वन्दना
राष्ट वन्दना
गीत
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हे विश्वश्रेष्ट ! हे राष्ट्ररूप !
हे देश तुम्हारा वंदन है ।
हे देव तेरा साकार रूप में
बार -बार अभिनन्दन है ।
तुम एक वेश में पूर्ण रूप
इंसान सभी वेशों के
हे भारत ! तुम हो विश्व गुरू
सिरमौर सभी देशों के
चिर प्राची के संस्कृति धारक
पालक तुम समरसता
एक सूत्र बस एक प्रेम में
गुंथित है सदा विविधता
प्रेम अटूट सँजोता प्रतिपल
ये जाति -पाति का बन्धन है ।
हे देव ! तेरा साकार रूप में
बार -बार अभिनन्दन है ।
बहुभाषी बहुजन के धारक
मन के एक नियन्ता हो
भाग्य विधाता भारतीय के
शक्तिमान अभियन्ता हो
भिन्न धर्म समुदाय नस्ल के
मात्र एक संचालक तुम
हिन्दू मुस्लिम बौद्ध ईसाई
सिक्खों के प्रतिपालक तुम
हे धर्मगुरू स्वागत में तेरे
अर्पित कुमकुम चन्दन है ।
हे देव तेरा साकार रूप में
बार -बार अभिनन्दन है ।
पावन गंगा और हिमालय
को धारण करने वाले
मानवता का पाठ पढ़ाकर
अमिट कीर्ति गढ़ने वाले
सत्य अहिंसा स्वच्छ शांति के
तुम सच्चे प्रणेता हो
प्रखर दिवाकर पथ प्रदर्शक
तुम ही विश्व विजेता हो
तू योगपुरुष अधिनायक तू ही
विश्वविजेता नन्दन है ।
हे देव तेरा साकार रूप में
बार -बार अभिनन्दन है ।
रकमिश सुल्तानपुरी
सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश