राष्ट्र बेल
मुक्तक
राष्ट्र-बेल को ज्ञान-बल, प्रेम- नीर से सींच।
कीडे जो छुप खा रहे, उनका जबडा खींच।
पुष्प,पत्र,फल में महक, मधुर रहेगा स्वाद।
देख अनैतिकता कहीं, मत लेना दृग मींच।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)