राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
प्यारे बापू का रहा, सीधा सादा वेश।
राष्ट्र पिता के नाम से,जाने पूरा देश।।
देश प्रेम के वास्ते, छोड़ें अपना ठाठ ।
सत्य अहिंसा शांति का, दिये सभी को पाठ।।
आँखों पर चश्मा चढ़ा, लाठी लेकर हाथ।
जाते थे बापू जिधर,जग होता था साथ।।
खादी की धोती पहन, चलते नंगे पाँव ।
झूठ कभी बोले नहीं,रहें सत्य की ठाँव।।
दिव्य स्वदेशी भावना,थे विवेक के पुंज।
सहज अहिंसक प्रेममय,क्षमा शांति के कुंज। ।
शुद्ध बुद्ध था आत्मा,परम तपस्वी वीर।
धन्य हुई माँ भारती,पाकर प्रखर सुधीर।।
साफ सफाई पर दिये, सदा उन्होंने जोर।
मात भारती से जुड़ी, रही हृदय की डोर।।
देश भक्ति की भावना,फैलाये चहुँ ओर।
चरखा,खादी वस्त्र पर,दिया हमेशा जोर।।
त्याग तपस्या साधना,निर्मल उच्च विचार।
भारी था अंग्रेज पर,गाँधी जी का वार।।
जन-जन मन में फूंक दी, आजादी का मंत्र।
बिना खड्ग बिन ढाल के,भारत किया स्वतंत्र।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली