राष्ट्रीय मतदाता दिवस
यह दिवस उन सभी के लिए खास है, जिनका सदियों से शोषण होता रहा है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस यह दर्शाता है कि हम सभी भारतवासी 1947 आजादी के बाद बराबर के हकदार हैं। आजादी के बाद भारत के गरीब, दलित, वंचित और पिछड़े समाज को उनका अधिकार धीरे-धीरे ही सही मगर मिलने लगा है। भले ही आज भी किसी दलित को घोड़े पर बारात ले जाते के लिए ठाकुरों और ब्राह्मणों की बस्ती में घोड़े से नीचे उतरना पड़े, मगर भारतीय संविधान सभी लोगों को बराबरी का अधिकार देता है। आज गरीब, दलित, वंचित और महिलाएं अपने अधिकारों के लिए भारतीय न्याय व्यवस्था का सहारा ले सकते हैं। हां अभी भी भारतीय सामाजिक संरचना अपनी पुरानी रूढ़वादी सोच को पूर्ण रूप से खत्म नहीं कर पाई है, मगर धीरे-धीरे भारतीय समाज में बदलाव की गंगा बह रही है।
भारतीय समाज में जितना बदलाव हो रहा है उसका फायदा गरीब, वंचित, दलित, पिछड़े और महिलाओं को सबसे अधिक हो रहा है। भारत का काला इतिहास बताता है कि भारतीय समाज में महिलाओं, दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को कई अधिकारों से वंचित रखा गया था। आज भी भारतीय समाज में महिलाओं के साथ जो अत्याचार होता है, वह भारतीय इतिहास के काले पन्नों को दर्शाता है।
भारत के संविधान निर्माता डॉ बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान में सभी को बराबरी का अधिकार दिया जबकि अमेरिका सहित कई अन्य देशों में जहां आजादी के कई साल बाद महिलाओं को मतदान का अधिकार प्राप्त हो पाया था। यह मैं इसलिए बता रहा हूं क्योंकि बहुत सारे लोग भारतीय संविधान में कमियां निकालते हैं और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के ऊपर अन्य देशों के संविधान को नकल करने का आरोप लगाते हैं।
भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत वहां के मतदाता होते हैं। मतदाताओं का जागरूक रहना लोकतंत्र को हरा भरा रखता है और राजनेताओं को उनकी हकीकत से वाकिफ कराते हैं। इससे देश का विकास सही ढंग से हो पाता है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर मैं भारत के सभी मतदाताओं को शुभकामनाएं देता हूं और जो इसी साल मतदाता बनेंगे उन सभी युवाओं को भी ढेर सारी बधाइयां देता हूं।
– दीपक कोहली