राष्ट्रीय पुरस्कारों का सम्मान
राष्ट्रीय पुरस्कार जबसे बन गए ,
रेवड़ियों सा बंटने वाला प्रसाद ।
असली उम्मीदवारों तक तो पहुंचे नहीं,
गलत हाथों में चला जाए तो ,
उत्पन्न होता ह्रदय में विषाद ।
बंदर को ज्यों माणिक मिले,
तो वो उठाकर इधर उधर फेंक दे।
उसी प्रकार पुरस्कार वापसी का,
घृणित कार्य तथाकथित मशहूर हस्तियां कर दें।
क्या मोल रह जाता है इन माणिक ,
जैसे अनमोल राष्ट्र के सर्वोच्च पुरस्कारों का ?
हीरे की कीमत ज्यों जोहरी ही जान सकता है,
उसी प्रकार इनका असली हकदार ही ,
इनकी कीमत पहचान सकता है ।
यह जान लीजिए जिसे राष्ट्र की कद्र होगी ,
वोह राष्ट्र प्रेमी ही राष्ट्रीय पुरस्कारों का सम्मान करेगा ।
अतः प्रशासन को चाहिए की कुछ तो ,
इनका सम्मान रखे ।
रेवड़ियों की तरह अभिमानियों ,देशद्रोहियों ,
चरित्रहीन लोगों में न बांटा करे ।