राष्ट्रभाषा का सवाल
खूब धूमधाम से मना चुके
आजादी का अमृत काल
फिर भी हम हल नहीं कर
पाए राष्ट्रभाषा का सवाल
राजनीतिकों के द्वंद्व फंद
में उलझे हैं देश के लोग
मातृभाषा को बेहाल छोड़
करते हैं अंग्रेजी का प्रयोग
दुनिया के अनुभवों से लेते
नहीं तनिक सी भी वो सीख
नवोन्मेष के बजाय वो अपना
रहे अंग्रेजों की पुरानी लीक
बांटो और राज करो तक ही
सिमटा उनके जीवन का साज
ऐसे में कैसे पा सकता भारत
दुनिया में अग्रणी का ताज