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11 Oct 2019 · 1 min read

रावन

शीश उसका रहा ऊँचा भी नहीं
राम आगे कभी झुका भी नहीं

हम जलाते सदैव है रावन
पर न वो अब तलक जला भी नहीं

वाटिका में पधार कर माते
पर न माँ को मिले दगा भी नहीं

लंकिनी की मिले जो छत्र छाया
पा न रावन उन्हें सका भी नहीं

हम जलाते सदैव है रावन
पर न वो अब तलक जला भी नहीं

साधु के भेष में चुरा सीते माँ
साथ भगवां के जो वफा भी नहीं

जीत अच्छाई की है बुराई पर
सत्य इस बात को भुला भी नहीं

78 Likes · 1 Comment · 536 Views
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