Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2020 · 1 min read

रावण

रावण मे कितना ही राक्षसत्व क्यों न हो, उसके गुणों विस्मृत नहीं किया जा सकता। ऐसा माना जाता हैं कि रावण शंकर भगवान का बड़ा भक्त था। वह महा तेजस्वी, प्रतापी, पराक्रमी, रूपवान तथा विद्वान था।

वाल्मीकि उसके गुणों को निष्पक्षता के साथ स्वीकार करते हुये उसे चारों वेदों का विश्वविख्यात ज्ञाता और महान विद्वान बताते हैं। वे अपने रामायण में हनुमान का रावण के दरबार में प्रवेश के समय लिखते हैं

अहो रूपमहो धैर्यमहोत्सवमहो द्युति:।
अहो राक्षसराजस्य सर्वलक्षणयुक्तता॥
आगे वे लिखते हैं “रावण को देखते ही राम मुग्ध हो जाते हैं और कहते हैं कि रूप, सौन्दर्य, धैर्य, कान्ति तथा सर्वलक्षणयुक्त होने पर भी यदि इस रावण में अधर्म बलवान न होता तो यह देवलोक का भी स्वामी बन जाता।”

रावण जहाँ दुष्ट था और पापी था, वहीं उसमें शिष्टाचार और ऊँचे आदर्श वाली मर्यादायें भी थीं। राम के वियोग में दुःखी सीता से रावण ने कहा है, “हे सीते! यदि तुम मेरे प्रति काम-भाव नहीं रखती तो मैं तुझे स्पर्श नहीं कर सकता।” शास्त्रों के अनुसार वन्ध्या, रजस्वला, अकामा आदि स्त्री को स्पर्श करने का निषेष है अतः अपने प्रति अ-कामा सीता को स्पर्श न करके रावण शास्त्रोचित मर्यादा का ही आचरण करता है।

वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस दोनों ही ग्रंथों में रावण को बहुत महत्त्व दिया गया है। राक्षसी माता और ऋषि पिता की सन्तान होने के कारण सदैव दो परस्पर विरोधी तत्त्व रावण के अन्तःकरण को मथते रहते हैं।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
चंदन कुमार

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 352 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुप्रभात प्रिय..👏👏
सुप्रभात प्रिय..👏👏
आर.एस. 'प्रीतम'
" मँगलमय नव-वर्ष-2024 "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
शिल्पकार
शिल्पकार
Surinder blackpen
■ प्रभात वंदन....
■ प्रभात वंदन....
*Author प्रणय प्रभात*
चाह और आह!
चाह और आह!
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
अगर हो दिल में प्रीत तो,
अगर हो दिल में प्रीत तो,
Priya princess panwar
रावण का परामर्श
रावण का परामर्श
Dr. Harvinder Singh Bakshi
वक़्त आने पर, बेमुरव्वत निकले,
वक़्त आने पर, बेमुरव्वत निकले,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
परिभाषा संसार की,
परिभाषा संसार की,
sushil sarna
लोग जीते जी भी तो
लोग जीते जी भी तो
Dr fauzia Naseem shad
आक्रोष
आक्रोष
Aman Sinha
_सुविचार_
_सुविचार_
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
जुदाई - चंद अशआर
जुदाई - चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
*अपने  शहर  का आज का अखबार देखना  (हिंदी गजल/गीतिका)*
*अपने शहर का आज का अखबार देखना (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
2467.पूर्णिका
2467.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
जगदीश शर्मा सहज
वादे खिलाफी भी कर,
वादे खिलाफी भी कर,
Mahender Singh
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
शेखर सिंह
यही एक काम बुरा, जिंदगी में हमने किया है
यही एक काम बुरा, जिंदगी में हमने किया है
gurudeenverma198
किसी शायर का ख़्वाब
किसी शायर का ख़्वाब
Shekhar Chandra Mitra
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
इक दिन तो जाना है
इक दिन तो जाना है
नन्दलाल सुथार "राही"
चंद घड़ी उसके साथ गुजारी है
चंद घड़ी उसके साथ गुजारी है
Anand.sharma
जग-मग करते चाँद सितारे ।
जग-मग करते चाँद सितारे ।
Vedha Singh
** अब मिटाओ दूरियां **
** अब मिटाओ दूरियां **
surenderpal vaidya
जाने क्यूं मुझ पर से
जाने क्यूं मुझ पर से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...