रावण
रूद्र के पुजारी
वो महान अहंकारी।
वो विद्वता ,मर्मज्ञ बड़ा भारी I
शिव पुजारी ॥
छल और प्रपंच था,
क्योंकि रावण राक्षस का अंश था।
वो अत्याचारी ,वो अहंकारी ।
जो स्वयं के अहित में,वो अहंकारी।
समुद्र की गहराई में, रावण की नैतिकता
स्वर्णिम अक्षर में , लिखना पड़ेगा।
जो स्वयं के अहित में , अपने वश में करता था नैतिकता का वास।
ये है रावण का इतिहास ।
समुद्र की गहराई में रावण की अच्छाई में था वो अहंकार।
आज का अहंकार ,
विभिषिका बन ,
तोड़ रहा व्यक्ति , परिवार, समाज।
जिसके लिए फिर लेंगे ,
प्रभु कल्कि अवतार _डॉ. सीमा कुमारी बिहार (भागलपुर)।
स्वरचित रचना 17-2-0 13 दिनांक जो आज प्रकाशित कर रही हूं ।