रावण क्यों नहीं मरता
सनातन शास्त्रों में रावण ही ऐसा चरित्र है जिसे हर साल मारा जाता है और उसे मारकर ही विजयदशमी मनाई जाती है।
मगर क्यों..? आखिर में रावण अभी तक मरा क्यों नही..? हर साल उसे मारने का क्या प्रयोजन है..?
जबकि राम ने, कृष्ण ने, दुर्गा ने कई सारे दानवों को मारा, मगर रावण ही ऐसा राक्षस क्यों है जिसे हर साल उसी प्रकार धनुष से मारा जाता है और उसकी नाभि का अमृत सुखाया जाता है.! बहुत ही अद्भुद एवं अकाट्य प्रश्न है..! जिसका उत्तर खोजना जरूरी हो जाता है, हर साल जिंदा होते रावण के लिए भी और हर साल युध्द करते श्रीराम के लिए भी।
जिसका कारण है कि रावण अपने अंतिम समय में सीता के प्रेम में पड़ चुका था, जो स्वाभाविक था। सीता द्वारा एक महापराक्रमी योद्धा का तिरस्कार किया जो रावण के लिए आस्चर्य का विषय था अद्भुद था। उस व्यक्ति के लिए असंभव था जिसने जो चाहा वो पाया उसका कोई तिरष्कार करे यह कैसे संभव हो सकता था। मगर सीता ने यही किया जिस कारण सीता रावण से आत्मिक रूप से श्रेष्ठ हो गयी और रावण के लिए दुर्लभ हो गयी। सीता की इसी श्रेष्ठता एवं दुर्लभता के कारण रावण सीता से प्रेम कर बैठा और उसके मोह में पड़ गया।
मोह इतना गहरा था कि राम रावण को देखकर पहचान गया, कि जो नहीं होना था वह हो चुका है। प्रेमबीज अंकुरित हो चुका है भले ही एकतरफा हो। जिसे देखकर श्रीराम ता उम्र ससंकित रहे और रावण की आँखों में सीता के प्रति इस प्रेम को देखकर वो रावण को नहीं भूल सके। यही एक कारण था कि अशोक वाटिका से मुक्त होते ही श्री राम ने सीता की अग्नि परीक्षा ली, फिर अयोध्या पहुँचकर अग्नि परीक्षा ली और अंत मे देश निकाला दे दिया।
रावण का मोह सीता के प्रति इतना गहरा था कि श्रीराम की चेतना में रावण कभी मर ही नहीं पाया।
उनकी प्रजा हरसाल रावण को इसीप्रकार मारने की कोशिश करती रही मगर रावण कभी नहीं मरा। और आजतक नहीं मरा क्योकि जब देव की चेतना से रावण नही मरा तो प्रजा की चेतना से मरना तो असंभव ही है। सच तो यह है कि शंका कभी नहीं मरती, वह मृत्यु के साथ ही जाती है। और गयी भी तभी रावण आज तक नहीं मरा…
यह सोचने योग्य है कि रावण का प्रकोप अयोध्या नगरी तक नहीं था, जिससे अयोध्या की जनता रावण से परिचित भी नहीं थी। तो फिर वो क्यों खुशी मनाएगी, रावण के मरने से…?