मुहब्बत के दिये
मुहब्बत के दिये हम सब जलाएं इस दिवाली पर
अंधेरे नफरतों के अब मिटाएं इस दिवाली पर
नहीं हो बैर आपस में बनाए प्यार का भारत
जमाने से बुराई सब मिटाएं इस दिवाली पर
पटाखे फुलझड़ी बम चरखियों से दूर रहना है
सुखद वातावरण अपना बनाएं इस दिवाली पर
सभी को हम करें शामिल खुशी फिर दोगुनी होगी
ग़रीबों को न हमतुम भूल जाएं इस दिवाली पर
उसे कल राम ने मारा यह गुज़री बात है देखो
मगर रावन को दिल से भी भगाएं इस दिवाली पर
मिटे कालिख बुराई की हमारे देश से “अरशद”
रंगोली आज कुछ ऐसी बनाएं इस दिवाली पर