रावण के साथ सेल्फी
दशहरा के दिन बच्चों में बड़ा ही उत्साह था, मैंने पूछा बच्चों आज इतना उत्साहित क्यों दिख रहे हो ? एक बच्चे ने जवाब दिया – आज दशहरा है, हम लोग रात में रावण का पुतला जलाएंगे इसलिए हम लोग उसकी तैयारी में लगे हुए हैं ।
शाम का समय हुआ मैं पुतला दहन के स्थान पर पहुंचा बच्चों ने रावण, मेघनाद, कुंभकरण के पुतले मैदान में खड़े कर रखे थे ।
पुतले खड़े देख मैंने सोचा क्यों न आज पुतलों के साथ सेल्फी ली जाएं, मेरे साथ बच्चे भी सेल्फी के लिए आ गए जैसे ही सेल्फी के लिए मैं खड़ा हुआ किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा, मैं सहसा डर गया ! मैंने देखा मेरे कंधे पर रावण के पुतले का हाथ था । रावण बोला – तुम लोग मुझसे दूर हटो, तुम्हें पता नहीं कि आजकल चारों तरफ कोरोना महामारी फैली हुई है और तुम लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए मेरे पास खड़े हो ।
रावण के अचानक बोलने से पहले तो हम लोग डर गए फिर हंसी भी आयी कि रावण हमें कोरोनावायरस का पाठ पढ़ा रहा है।तभी एक बच्चा बोला – रावण हमें कोरोना कैसे हो सकता है । जब किसी नेता की रैली में लाखों की भीड़ बिना किसी कोरोना गाइडलाइन का पालन किये निकाली जाती है तब उसमें किसी को कोरोना नहीं होता, तो फिर हमें कैसे होगा ।
हमारी बातों को सुन रावण ने जोर से अट्टहास किया और बोला – सुनो नेताओं की बात छोड़ो उनकी रैली मैं चाहे लाखों – करोड़ों लोग बने रहे, बिना किसी नियम कानून का पालन किए रैली निकालें उसमें उन्हें किसी महामारी का डर नहीं लगता। उनकी सत्ता है तो उनकी मनमानी चलेगी, प्रशासन भी उनका कुछ ना बिगाड़ पाएगा और यदि किसी आम आदमी के घर शादी या मातम हो तो उसमें निर्धारित संख्या से अधिक व्यक्ति होने पर उस पर कानूनी कार्यवाही हो जाएगी ।
रावण बोला खैर छोड़ो कोरोना की बातें और मुझे यह बतलाओ की तुम लोग हर साल मेरा पुतला क्यों जलाते हो ! जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसका एक बार दाह संस्कार हो जाता है, ऐसे ही मेरा भी त्रेता युग मैं एक वार दाह संस्कार हो चुका है, फिर कलयुग मैं तुम लोग हर साल मेरा पुतला दहन क्यों करते हो?
फिर मैंने रावण से कहा – दशहरा पर्व हम लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं, बुराई के प्रतीक (रावण) के पुतले को हम दशहरा के दिन जलाते है । क्योंकि इस दिन प्रभू श्री राम ने रावण का वध कर बुराई का अंत किया था ।
मेरे बातों को सुन रावण ने एक बार फिर जोर से अट्टहास किया और बोला – तुम लोग मुझे बुराई का प्रतीक मानते हो चलो कोई बात नहीं, क्योंकि हां मैं सच में बुरा था, मैंने माता सीता का हरण किया था, ऋषि मुनियों को परेशान करता था, मारता था, एवं इंसानों पर भी अत्याचार करता था, पर इसकी सजा मुझे प्रभु जी श्री राम जी ने दे दी थी ।
लेकिन क्या ? तुम लोग कुछ – कुछ मेरे जैसे नहीं हो !
आज के युग में भी नारी के साथ अत्याचार हो रहे है, सरे-राह बलात्कार हो रहे है । लोग झूठ फरेब़ का सहारा लेकर कपट कर रहे हैं । एक दूसरे का कत्ल कर रहे है, मानवता को छोड़ राक्षसी प्रवृत्ति में लिप्त होते जा रहे हैं ।
इस तरह आज के इंसानों के अंदर भी मेरा एक रूप बसता है । आप लोग दशहरा के दिन मेरा पुतला तो जला लेते हो, उससे क्या ? अपने अंदर छुपे रावण को कैसे जलाओगे ?
यदि तुम लोग सच में दशहरा मनाना चाहते हो तो तुम्हें अपने अंदर छुपे रावण को मारना पडे़गा । जब तब तुम्हारे अंदर की बुराईओं का अंत नहीं हो जाता तब तक तुम्हें दशहरा पर रावण के पुतले का दहन का कोई ह़क नहीं, पहले अपने अंदर के रावण का दहन करो ।
रावण की बातें सुन मैं निरुत्तर रह गया ! और सोचता रहा बाकई रावण की बातों में सच्चाई दिखाई पड़ती है ।
—– डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया (म.प्र.)