रावण का तुम अंश मिटा दो,
ढलता_ जाए_चंदा-सूरज , साथ तुम्हे ढल जाना है
रावण का तुम अंश मिटा दो,राम तुम्हे बन जाना है
अंगद_सा_ तुम बं_ बांकुरा , रण_ में पैर जमाना है
हनुमत सा बन संकट मोचन, पवनपुत्र कहलाना है
तेरा मेरा ना कर पगले , साथ नहीं कुछ जाना है
आकर जग बने भिखारी , दोनों हाथ कमाना है
कांटों को तुम फूल बनालो, खुशियां भागी आना है
प्रेम का प्याला पी ले “कृष्णा”, साथ बही रह जाना है
✍️कृष्णकांत गुर्जर