*रायता फैलाना(हास्य व्यंग्य)*
रायता फैलाना(हास्य व्यंग्य)
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न जाने , रायते को इतनी गिरी हुई दृष्टि से क्यों देखा जाता है कि अगर रायता कहीं गिर जाए तो उसको रायता फैलाना एक कहावत मान लिया जाता है ? आज तक किसी ने नहीं कहा कि भिंडी फैलाना ,आलू फैलाना ,गोभी फैलाना । लेकिन “रायता फैलाना” बहुत बुरे अर्थों में लिया जाता है । जबकि देखा जाए तो बेचारे रायते का क्या कसूर ! उसे रायतेदान में जो व्यक्ति ले जाकर पंगत में परोसने जा रहा था, उसके हाथ से सर्वप्रथम रायतेदान गिरा, परिणामस्वरूप रायता गिरा और जमीन पर फैल गया । रायते का गिर कर जमीन में फैल जाना एक सामान्य घटना के तौर पर लोग क्यों नहीं लेते?
फैलने से याद आया कि प्रायः बच्चे फैल जाते हैं । इसका अभिप्राय नाराज होना होता है । बच्चे फैलने का अर्थ है ,बच्चा नाराज हो जाना और अपना मांग पत्र अभिभावकों के सामने उसके द्वारा प्रस्तुत किया जाना । इसे बच्चा फैलना कहते हैं । यह फैलना उस फैलने से भिन्न है जिससे जंगल कटते हैं और शहर फैलता है । यह फैलना वैसा भी नहीं है जैसा रिश्वतखोरों का पेट फैलता है ।
खैर ,रायता दही से बनता है और दही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है । बहुत से लोग दही की कढ़ी बनाते हैं । कढ़ी का अभिप्राय है कि बेसन और दही के घोल में बेसन की पकौड़ियाँ डालकर जो गर्म-गर्म बनता है, उसे कढ़ी कहते हैं । कई लोग कढ़ी में बेसन की पकौड़ियाँ डालने के स्थान पर रायता डाल देते हैं । रायते में नुकती होती है ,जो बेसन की बनी हुई होती है । इस तरह छोटी बूंदी की कढ़ी तैयार हो जाती है ।
रायता कई प्रकार का होता है । बेसन की बूंदी वाला रायता ,पुदीने का रायता ,खीरे का रायता आदि । जब रायता खट्टा हो जाता है अर्थात उसका दही स्वाद में खट्टा होता है तब वह खाने योग्य नहीं रहता तथा गला खराब कर देता है । याद आया कि खट्टे दही अथवा खट्टे रायते का सदुपयोग कढ़ी बनाने में खूब होता है । इससे नींबू या टाटरी का खर्चा बच जाता है । कढ़ी भी बढ़िया बनती है ।
खैर , कुछ लोग रायते में चीनी डालकर
खाते हैं । यह लोग दही में भी चीनी डालकर खाते हैं । दही-मिष्टी अपने आप में एक अनूठा स्वादिष्ट व्यंजन होता है । जो लोग दही पसंद नहीं करते ,उन्हें रायता भी पसंद नहीं आता ।
भंडारे में आलू की सब्जी और गंगाफल के साथ रायते का विशेष महत्व रहता है। रायता दो प्रकार से बनता है। एक ,गाढ़ा रायता। इसमें दही में पानी कम मिलाया जाता है । दूसरे प्रकार का पतला रायता कहलाता है । इसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है । आमतौर पर गाढ़ा रायता महंगा बैठता है । लेकिन लोगों को गाढ़ा रायता पसंद आता है । बात पैसे की नहीं है । कई बार पतला रायता ज्यादा अच्छा और स्वादिष्ट होता है । रायते का स्वाद उसमें भुना हुआ जीरा डालने से और भी बढ़ जाता है ।
कुछ लोग ब्याह-बरातों और भंडारों में रायता खाने की बजाय पीते हैं । कुछ लोग दो या तीन कटोरी रायता पी जाते हैं । जब भी रायतादान लेकर आता हुआ व्यक्ति दूर से दिखता है , तो पंगत में बैठे हुए समझदार सज्जन अपना रायता तुरंत पी जाते हैं और कटोरी खाली कर देते हैं । खाली कटोरी देखकर रायतेदान लेकर घूमने वाला व्यक्ति कटोरी को रायते से भर देता है । इसे चतुराई-पूर्वक भंडारे में भोजन का सेवन करना कहा जाता है ।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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