*राम-सिया के शुभ विवाह को, सौ-सौ बार प्रणाम है (गीत)*
राम-सिया के शुभ विवाह को, सौ-सौ बार प्रणाम है (गीत)
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राम-सिया के शुभ विवाह को, सौ-सौ बार प्रणाम है
1
मिथिला की मिथिलेशकुमारी, राम अयोध्यावासी
तोड़ा धनुष जनक की कर दी, प्रभु ने दूर उदासी
पुष्पवाटिका का हर्षित हर, सुमन आज अभिराम है
2
साड़ी पहने सिया हृदय में, मंद-मंद मुस्कातीं
अभिलाषित वर मिला, विधाता का आभार जतातीं
धनुष तोड़ कर हुआ राम का, बलवीरों में नाम है
3
जयमाला भावॅंर सिंदूरी, रस्म मधुर लहकौर है
हास और परिहास भरे मधु, संवादों का दौर है
अगहन मास धूलिगो-वेला, मतलब ढलती शाम है
राम-सिया के शुभ विवाह को, सौ-सौ बार प्रणाम है
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लहकौर = वर-वधु एक दूसरे को भोजन का कौर खिलाते हैं। इसे लहकौर की रस्म कहते हैं। रामचरितमानस में इसका वर्णन मिलता है।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451