राम मिलेंगे सबके मन में !
राम मिलेंगे सबके मन में,
जीवन के कण कण में।
राम मिलेंगे शोषित के घर में,
मर्यादा पुरषोत्तम नर में।
राम मिलेंगे सुग्रीव की मित्रता में,
रावण की भक्तिपूर्ण शत्रुता में ।
राम मिलेंगे भरत के भावों में,
जीवन के सभी अभाओं में।
राम मिलेंगे सरियु के पावन जल में,
जीवन के प्रश्नों में, उनके हल में।
राम मिलेंगे शबरी की भक्ति में,
मनुज की तपस्या और शक्ति में।
राम मिलेंगे केवट के अनुराग में,
जीवन के संघर्ष और राग में।
राम मिलेंगे राजा के वनवास में,
प्राणी के आए जाते श्वास में।
राम मिलेंगे विभीषण की भावना में,
शत्रु पर विजय की संभावना में।
राम मिलेंगे जटायु के त्याग में,
पिता की भक्ति और अनुराग में।
राम मिलेंगे हनुमान के सीने में,
प्रेम के लिए मरने और जीने में।
राम मिलेंगे तुलसी की कविता में,
अथाह सागर निर्मल सरिता में।
राम मिलेंगे गुरु की शिक्षा में,
ज्ञान बुद्धि और दीक्षा में।
राम मिलेंगे वचन की आन में
मनुष्य में पलते स्वाभिमान में।