राम मंदिर वहीं बनाएंगे
राम सा न कोई जग में….
वो पुरुषोतम कहलाते थे
आज उन्हें अपने ही घर में…
तम्बू में रहना पड़ता है
उनसा मर्यादा पुरोषतम्…
न पृथ्वी पर फिर आया है
इस सेकुलर भारत में
राम नाम अभिशाप हुआ
९० करोड़ के मन में कुंठा…
राम मंदिर पड़ा हुआ
आस लगाए बैठे है…..
न्यायलय के दरवाजे पे
हिंदू उदारता का मतलब तुम…
कमजोरी न समझो रे
ये लोकतंत्र के हत्यारो…
सेकुलर का मतलब पहचानो
मंदिर बनवाना बुरी बात तो…
राम का घर ही बनवा दो
नहीं बनवाना तो ये भी बतला दो..
फिर से आहवाहन होगा….
भूल गए बाबरी विद्वांश….
फिर से याद दिलाएंगे
लोकतंत्र की गरिमा को भूल…
हम राम मंदिर वही बनाएंगे?
लेखक – कुंवर नितीश सिंह