राम भजे
राम भजे तुलसी हुए, जग में तुलसीदास।
रामनाम को ओढ़कर, बापू बने मोहनदास।।
भक्ति काल के कवि सभी, पाए सबसे मान।
कबीर रहीम या मलिक, चाहे हो रसखान।।
रामनाम से है भरा, भारत का मूल साहित्य।
बिना राम के नाम के, पूरा नहीं मानवकृत्य।।
मानव सुर या हो असुर, है राम नाम की आस।
सबके अपने राम हैं, कहते कवि वर विश्वास।।
धन वैभव माया मिले, मिले धर्म अरु काम।
राम जपे ही मोक्ष हो, जगत होहीं निस्काम।।
राम भजे आदर मिले, मिले राज सुख धाम।
चादर फादर छोड़ कर, भज लो जय श्रीराम।।