राम प्रकाश सर्राफ पुरस्कार आदि कार्यक्रम ( 26 दिसंबर 2006 से
राम प्रकाश सर्राफ पुरस्कार आदि कार्यक्रम ( 26 दिसंबर 2006 से दिसंबर 2017 तक की गतिविधियाँ )
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26 दिसंबर 2006 को पूज्य पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ की मृत्यु के उपरांत कई कार्यक्रम रहे । 2007 में राम प्रकाश सर्राफ मिशन द्वारा पहला राम प्रकाश सर्राफ लोक शिक्षा पुरस्कार श्री हरिदत्त शर्मा को प्रदान किया गया । इसके बाद प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंहल, डॉक्टर प्रोफेसर ऋषि कुमार चतुर्वेदी, डॉक्टर छोटे लाल शर्मा नागेंद्र तथा श्री महेश राही को यह पुरस्कार दिए गए। श्रीराम सत्संग मंडल जो अग्रवाल धर्मशाला, रामपुर में दैनिक सत्संग की अनूठी संस्था है और आदरणीय श्री विष्णु शरण अग्रवाल जी के द्वारा बहुत अनुशासन प्रियता के साथ सुंदर ढंग से चलाई जा रही है ,को भी यह पुरस्कार मिला। पुरस्कार के अंतर्गत ₹5000 की धनराशि दी जाती थी।
कुछ अच्छी पुस्तकों के प्रकाशन के बारे में भी काम हुआ। वर्ष 2011 में श्री भोलानाथ गुप्त के लेखों का संग्रह पुस्तक रूप में प्रकाशित हुआ । 2012 में प्रोफेसर मुकुट बिहारी लाल की जीवनी पुस्तक लिखकर छापी गई। 2015 में श्री दीनानाथ दिनेश जी के संबंध में , जिनका कि रामपुर से बहुत गहरा संबंध अंत तक रहा, पुस्तक प्रकाशित हुई ।
वर्ष 2016 में हमने रियासत कालीन राज कवि स्वर्गीय श्री राधा मोहन चतुर्वेदी के सुपुत्र श्री राम मोहन चतुर्वेदी को स्वर्गीय राजकवि की आध्यात्मिक कविताओं के पाठ के लिए आमंत्रित किया । राम मोहन जी साहित्यिक अभिरुचि से संपन्न तथा बहुत सज्जन व्यक्ति हैं । उनका आगमन भी एक अच्छा प्रयोग रहा।
वर्ष 2017 में हमने आशु कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसमें प्रथम द्वितीय और तृतीय पुरस्कार की धनराशि क्रमशः ढाई हजार रुपए ,डेढ़ हजार रुपए तथा एक हजार रुपए थी । यह भी अच्छी प्रतियोगिता रही।
इसके साथ- साथ टैगोर स्कूल में राष्ट्रगीत वंदे मातरम् गायन प्रतियोगिता तथा सुन्दर लाल इन्टर कालेज में जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता आदि के आयोजन भी शुरू हुए। जाति मुक्ति भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी हमने किया । यह सब अच्छे विचारों के साथ रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिए चलाया गया कार्यक्रम था।
वर्ष 2006 से 2016 तक कुल 11 किस्तों में रामप्रकाश सर्राफ मिशन द्वारा डालमिया नेत्र चिकित्सालय ( राजकली देवी नेत्र बैंक) को प्रतिवर्ष ₹5000 दिए गए ।
अनंत काल तक चीजें नहीं चलतीं लेकिन फिर भी 10 वर्षों तक काफी अच्छा और आत्म संतोष देने वाला कार्य रहा।