राम – दोहे – डी के निवातिया
राम दोहे
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घट-घट में रावण बसे, करे राम का जाप !
द्वेष भाव मन से मिटा, राम मिलेंगे आप !!
राम जगत के देव है, देते सबको नाम !
मूरख प्राणी है चला, देने उनको धाम !!
राम नाम की लहर में, तरते दुर्जन आम !
कलयुग के पापी चलें, वेष बना के राम !!
दशरथ नगरी हो उठी, सजधज के तैयार !
राम लला देखन चलें, देश संग परिवार !!
जग-मग नगरी हो रही, महके कौशल धाम !
जित-जित को नैना उठे, दिखे राम ही राम !!
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स्वरचित: डी के निवातिया