*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)
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राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है
1)
हृदयों में उल्लास छा रहा, वैभव फिर से पाया
धाम अयोध्या सप्तपुरी-सा, फिर तुमने चमकाया
सदियों का वनवास काटकर, लौटा ज्यों श्रीमंत है
3)
जन्म-जन्म की अभिलाषाऍं, राम हुईं अब पूरी
रामराज्य धरती पर आए, अब यह बहुत जरूरी
पतझड़ छाया था भारत में, अब आनंद अनंत है
3)
पूजा की आजादी पाई, तुम्हें देख सुख पाते
दशरथ के ऑंगन में तुमको, निरख मुदित हो जाते
जिसने दर्शन किए तुम्हारे, हुआ हृदय से संत है
4)
इस वसंत की शोभा देखो, लगती कितनी न्यारी
रामलला की धाम अयोध्या, मूरत कितनी प्यारी
होठों की मुस्कान अपरिमित, लगता कहीं न अंत है
राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451