*राम जन्म अद्भुत अवतारी : चौपाइयॉं*
राम-जन्म अद्भुत अवतारी : चौपाइयॉं
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1
राम-जन्म अद्भुत अवतारी।
दीखे दिव्य चार मुख धारी।।
तत्पश्चात रूप-शिशु आए।
रोए-हॅंसे खेल दिखलाए।।
2
लगे अवध में मानो मेले।
दशरथ के ऑंगन में खेले।।
लक्ष्मण भरत शत्रुघन भ्राता।
प्रेम अनूप सहज उपजाता।।
3
गुरु के आश्रम विद्या सीखी।
प्रतिभा अद्भुत अनुपम दीखी।।
विश्वामित्र महल में आए।
राम-लक्ष्मण उनको भाए।।
4
साथ ले गए यज्ञ बचाने।
गूढ़ शस्त्र-विद्या सिखलाने।।
भूख-प्यास पर विजय दिलाई।
असुर ताड़का मार गिराई।।
5
जनक स्वयंवर मधुर रचाया।
धनुष एक भारी रखवाया।।
पहुॅंचे राम सिया को वरने
कौतुक जनकपुरी में करने।।
6
धनुष राम ने मोड़ा-तोड़ा।
सीता से रिश्ता मधु जोड़ा।।
जयमाला सिय ने पहनाई।
रामचंद्र की छवि उर पाई।।
7
परशुराम ने क्रोध दिखाया।
किसने तोड़ा धनुष गिराया।।
राम दिखे अनुशासनकारी।
लक्ष्मण यद्यपि जिह्वाचारी।।
8
परशुराम थे तपसी भारी।
दो तरकश थे फरसाधारी।।
सबने मन में देव बुलाए।
बना खेल अब बिगड़ न पाए।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451