’राम की शक्तिपूजा’
’राम की शक्तिपूजा’ बामन कवि निराला की ही नहीं, हिंदी की बहुत ही घटिया कविता है जो कपटी प्रगतिशील बौद्धिकों/सवर्णों के चलते नाहक ही मशहूर कर दी गई है।
’राम की शक्तिपूजा’ बामन कवि निराला की ही नहीं, हिंदी की बहुत ही घटिया कविता है जो कपटी प्रगतिशील बौद्धिकों/सवर्णों के चलते नाहक ही मशहूर कर दी गई है।