राम का राज्याभिषेक
आज तो दशरथ की अयोध्या नगरी में
अपूर्व अलौकिक सौंदर्य टपक रहा है
पर इस राजमहल का भाग्य तो शायद
किसी कोने में छुप कर फफक रहा है
अद्भुत अविस्मरणीय खुशियों का राज
छाया है संपूर्ण राजमहल के कोना कोना
अयोध्या की जनता के अति लोकप्रिय
युवराज राम का है राज्याभिषेक होना
राजमहल के हर कोने में अंधेरे पर आज
दीयों ने अपनी ज्योति से प्रहार किया है
राम के राजा बनने की उद्घोषणा सुनने
राजमहल को पूरी तरह तैयार किया है
सभी दरबारी और जनता के संग आज
बाजा बजा कर सभी ढोल तमाशे वाले
राजमहल के चारों ओर चक्कर लगा के
खुशी से हो रहे थे अच्छे खासे मतवाले
राम को राजा बना महाराज दशरथ को
अपने पिता के धर्म का निर्वहन करना है
अयोध्या को सुनिश्चित हाथों में देकर ही
चैन से अपनी मृत्यु को वरण करना है
राम के यहाॅं राजा बन जाने की सूचना
किसी सूत्र से जैसे ही देवलोक में पहुंची
उसी समय सभी देवताओं के माथे पर
अचानक एक लकीर चिंता भी ने खींची
राम वहाॅं अगर आज राजा बन गया तो
फिर राज पाठ के कार्यों में ढ़ल जाएगा
भगवान विष्णु के अवतार से तो फिर
पृथ्वी तब शायद ही कोई फल पाएगा
पृथ्वी पर तो असुर मानव जाति को ही
पूरी तरह से नोच नोच कर खा जाएगा
और धरा पर देवों का नाम जपने वाला
इसके बाद तो कोई भी नहीं रह पाएगा
राज्याभिषेक की बिल्कुल शुभ घड़ी में
विघटन का देवताओं ने निर्णय लिया है
इस अनर्थ को अविलंब रोकने के लिए
माॅं सरस्वती से अनुनय विनय किया है
दासी मंथरा का महल के हर कोने में
हमेशा ही लगा रहता है आना जाना
माॅं सरस्वती को हर हाल में अब तो
सिर्फ मंथरा को ही निशाना है बनाना
माॅं सरस्वती मंथरा की जिह्वा पर बैठी
मंथरा अब एक नया इतिहास रचेगी
कैकई का राम के प्रति प्रगाढ़ पुत्र प्रेम
अब इस नये षड़यंत्र की बलि चढ़ेगी