राम का घर
कुंभ समाप्ति पर अयोध्या,
में होगी संतन भीड़।
बने राम मंदिर ही वरना,
यहीं हमारा नीड़।
हर हृदय में बसे राम लला,
दुखी क्यों हो जनाब।
सीमा टूटी धीरज की तो,
आएगा सैलाब।।
निज घर में रहने के लिए,
आज्ञा न है राम।
अपना असली रूप दिखा दो,
हाथ सुदर्शन थाम।।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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