राम एक पर कथा अनेक(पद)
राम एक पर कथा अनेक।
टूट गये नृप दशरथ जी जब, केकैयी ने किया कुटेक।
पाया तब वनवास राम ने, हुआ नहीं उनका अभिषेक।
साथ गईं वनवास सिया भी, सुख दुख बांट लिए प्रत्येक
भातृप्रेम का रूप अनोखा ,त्याग में आगे एक से एक।
प्राण गवाये रावण ने भी, नहीं रहा जब उसे विवेक
मर्यादा पुरुषोत्तम कहते, काम किये जो सारे नेक ।
राम अयोध्या को जब लौटे, प्यार मिला सबका अतिरेक।
हमें सिखाती है रामायण, सदा कष्ट देता अविवेक
बोलो जय जय सिया राम की, राम एक पर कथा अनेक।।
19-1-2022
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद