*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)
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1)
रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक
नाम बरेली का फैलाते, राधेश्याम कथावाचक
2)
हारमोनियम सदा आपके, हाथों में रहता शोभित
अद्भुत सुर-लय-ताल सजाते, राधेश्याम कथावाचक
3)
रामचरितमानस तुलसी की, रामायण राधे जी की
कभी-कभी कुछ ज्यादा भाते, राधेश्याम कथावाचक
4)
लिखी खड़ी बोली में रचना, छंद सवैया कहलाया
राधेश्यामी छंद रचाते, राधेश्याम कथावाचक
5)
शुचिता देखी वेश्याओं में, नाटक ‘परिवर्तन’ खेला
कलयुग में सतयुग यों लाते, राधेश्याम कथावाचक
6)
पूत सपूत बने कैसे यह, लक्ष्य जगत को दिखलाया
नाटक ‘श्रवण कुमार’ खिलाते, राधेश्याम कथावाचक
7)
गजलों में भी क्या माहिर थे, सिक्का अपना जमवाया
सही काफियों को जुड़वाते, राधेश्याम कथावाचक
8)
धन्य रामलीलाऍं कर दीं, अपनी शैली को देकर
पात्रों के संवाद सुनाते, राधेश्याम कथावाचक
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451